त्रिस्तरीय सरकार में पंचायती राज जमीनी सरकार है। इन की भूमिका सब से महत्वपूर्ण माना जाता है।
सरकार ने एक अभियान के तहत खुले में शौच मुक्त करने के लिए लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान (LSBA) चलाया जिस के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य था जिसे केन्द्र प्रायोजित स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (SBM-G) तथा राज्य सम्पोषित लोहिया स्वच्छता योजना के प्रावधानों से पूरा किया जाना था। इस अभियान के तहत 1.66 करोड़ परिवारों को शौचालय उपलब्ध करवाना तथा बिहार को 02 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य था। परंतु दूर भाग्य से इस सपना को स्थानीय प्रतिनिधियों ने पूरा नहीं होने दिया । उन लोगों को दस दस हजार का लाभ पहुंचाया गया जिस के घर पक्के थे और शौचालय बने हुए थे। उन लोगों को वंचित रखा गया जिन के घर शौचालय नहीं बने हुए थे । स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अंतर्गत गंगा कार्य योजना (नमामि गंगे) के तहत राज्य के 12 जिलों यथा; बेगुसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, कटिहार, खगरिया, लखीसराय, मुंगेर, पटना, समस्तीपुर, सारण, तथा, वैशाली जिलों में गंगा किनारे अवस्थित 61 प्रखंडो के 307 पंचायतो में शौच मुक्त बनाये जाने का लक्ष्य था जो कि अब तक अधूरे हैं। क्या त्रिस्तरीय पंचायती राज के जमीनी पतिनीधि इस मिशन को सफल बनाने में अपने भागीदारी सुनिश्चित किए!!???