आत्मनिर्भर अर्थात खुद पर भरोसा , खुद पर निर्भर, किसी की कोई सहारा नहीं, अंग्रेजी में सेल्फ डिपेंड कहते हैं ।
सही मायने में इसे समझा जाए और इस पर अमल शुरू किया जाए तो आत्मनिर्भरता का फार्मूला समाज को बर्बाद करने वाली है, मानवीय सहयोग का हनन है। लोगों का लोगों के प्रति प्यार, मुहब्बत ,दया को नष्ट करने वाली है और जिन्दगी को तबाह करने वाली है ।
यह बात हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि कोई भी प्राणी जिस के अंदर जान है वह आत्मनिर्भर हो कर नहीं जी सकते, उसे दुसरे वस्तुओं का सहारा लेना ही पडेगा, आत्मनिर्भर बनना अर्थात कुदरत को चैलेंज करना है ,कुदरत की एक मामूली सी मार कोरोना से लडऩे की ताकत नहीं, और हम आत्मनिर्भर होने की बात कर रहे हैं।
हमारे प्रिय प्रधान मंत्री जी स्वयं आत्मनिर्भर नहीं हैं खुद वह न धान काटने जाते हैं और न ही एक सुई बनाते हैं और तो और अपनी सुरक्षा के लिए रोजोना 1 करोड़ 62 लाख रूपए खर्च भी करते हैं ,और प्रवचन देते हैं कि आत्मनिर्भर बनो । 15-15 लाख जुमला, दो करोड़ सालाना रोजगार मजाक, मेक इन इंडिया घाटे में, स्वच्छ भारत फेल, बुलेट ट्रेन कागजों पर, 5 ट्रलियन इकोनॉमी सपना, कर कुछ नहीं रहे हैं और भाषण में सब कुछ कर गए ।
ज़रा निर्भर के अर्थ पर बिचार करें कि हम आपस में कैसे एक दुसरे के ऊपर निर्भर हैं ।
हम जो कुछ खाते हैं उसे स्वयं नहीं उपजाते हैं उसे तो किसान उपजाते । अर्थात हम तो निर्भर हुए किसानों पर!!! और किसान उच्च कोटि की खेती करने करने के लिए निर्भर रहते हैं हाईब्रिड बीज पर, कीटनाशक दवाओं और उर्वरक पर, इसी तरह हाईब्रिड बीज तैयार करने वाले, कीटनाशक दवा बनाने वाले और इन सभी के सप्लायर्स निर्भर होते हैं किसानों द्वारा उपजाए अनाजों पर, फल फ्रूट्स पर, और अन्य खाद्य पदार्थों पर!!!
एक किसान खुद पर निर्भर तो किसी तरह हो सकता है पर एक ज़हर बनाने वाला शख्स आत्मनिर्भर होना चाहे तो उन्हें ज़हर पी कर ही रहना होगा क्योंकि जो व्यक्ति जो चीज़ तैयार कर पाए उसी पे निर्भर होना ही आत्मनिर्भर है ।
बिहार में एक भी ढंग की फैक्ट्री नहीं है पर हां उस के पास लेबर पावर है, दिल्ली में लेबर पावर नहीं है मगर फैक्ट्री है । इस तरह से अगर एक राज्य दुसरे राज्य से आजाद होकर आत्मनिर्भर होना चाहे तो क्या यह संभव है!!?? जी हां आप ने सही सोचा है बिल्कुल नहीं एक दुसरे का सहयोग ,एक दुसरे पर निर्भर,अनिवार्य है।
यदि भारत अपनी सुरक्षा के लिए राफेल नहीं बना पाते हैं तो उन्हें राफेल नहीं खरीदना है ,यदि वह राफेल दुसरे देशों से खरीदते हैं इसका मतलब भारत निर्भर है दुसरे देशों पर !!! खुद के बनाए हुए हथियारों से खुद की सुरक्षा करने का नाम आत्मनिर्भर है ।।
लाकडाउन में जो मजदूर घर से बाहर फंसे हुए हैं वह निर्भर है सरकार की सहायता पर और जो घर जाना चाहते हैं वह निर्भर है सवारियों पर, यदि सवारियों पर निर्भर न होकर खुद पैदल चलकर घर चले जाते हैं, इसका मतलब वह व्यक्ति आत्मनिर्भर है , मेरे ख्याल ख्याल से मोदी जी यह कहने की कोशिश कर रहे थे कि मिट्टी खा कर जिन्दा रहना सीख लो, खुद पैदल घर जाना सीख लो!! आत्मनिर्भर बनो, सरकार पर निर्भर मत रहो!!
और जहां तक 15 लाख करोड़ की बात है बात है तो उसे जुमला समझा जाए क्योंक वित्त मंत्री ट्वीट करती है जिसमें 20 लाख का जिक्र किया गया है। फकीर घोषणा करते हैं 20 लाख करोड़ और वित्त मंत्री उसे 20 लाख बताती है अर्थात प्रवचन देना थमता नहीं और वित्त मंत्री साहेब की इसलाह कर लेते हैं, मतलब आगे का आप समझ सकते हैं!!
हम आप मानव जाति से आग्रह करना चाहेंगे कि आत्मनिर्भर मत बनो, आपसी निर्भर बनो, समाजी प्राणी बनो, अपने होकर का सही से प्रयोग करो एक दुसरे को सहयोग करो
लेखक :सद्दाम रिफ-अत : टी जी टी सामाजिक विज्ञान, मानू माडल स्कूल, हैदराबाद